कैसे डूबता गया प्रज्वल रेवन्ना का उठता सितारा? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

बेंगलुरु: कर्नाटक की सियासत में इन दिनों हलचल मची है। प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल ने सबको हिलाकर रख दिया है। राज्य सरकार ने रेप की धाराओं में केस दर्ज कर प्रज्वल रेवन्ना की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं। वहीं प्रज्वल के पिता एचडी रेवन्ना को गिरफ्त

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बेंगलुरु: कर्नाटक की सियासत में इन दिनों हलचल मची है। प्रज्वल रेवन्ना सेक्स स्कैंडल ने सबको हिलाकर रख दिया है। राज्य सरकार ने रेप की धाराओं में केस दर्ज कर प्रज्वल रेवन्ना की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं। वहीं प्रज्वल के पिता एचडी रेवन्ना को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले की जांच एसआईटी कर रही है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। प्रज्वल रेवन्ना भारत में नहीं हैं। बताया जा रहा है कि आपत्तिजनक वीडियो सामने आने के बाद वह जर्मनी भाग गए हैं। प्रज्वल रेवन्ना 2019 में लोकसभा में जनता दल (सेक्युलर) से चुने गए इकलौते सांसद थे। इस बार उन्हें जेडीएस ने फिर हासन सीट से प्रत्याशी बनाया था। नाटकीय ढंग से एक 'पेन ड्राइव' महिला आयोग तक पहुंची। उसके बाद प्रज्वल का यह सेक्स कांड खुला। इस कांड ने कर्नाटक में चुनावी दिशा बदल दी है। न सिर्फ रेवन्ना के दादा एचडी देवगौड़ा की छवि खराब हुई है, बल्कि उनके गठबंधन की पार्टी बीजेपी भी मुसीबत में पड़ गई है। जेडीएस प्रत्याशी प्रज्वल का मुकाबला कांग्रेस के श्रेयस पटेल से है, जो पूर्व विधायक पुट्टास्वामी गौड़ा के पोते हैं। पुट्टास्वामी ने कई चुनावी लड़ाइयों में देवेगौड़ा को हराया था।
हासन इलाके के आसपास प्रज्वल रेवन्ना के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। ये मोबाइल लोगों के मोबाइल तक पहुंच गए हैं। कहा जा रहा है कि राज्य महिला आयोग को मिली इस पेन ड्राइव में 2,976 फाइलें हैं, जिनमें से अधिकांश चैट के स्क्रीनशॉट, कई महिलाओं के साथ वीडियो कॉल और लगभग 100 वीडियो हैं।

प्रज्वल के खिलाफ पेन ड्राइव में क्या-क्या

कहा जा रहा है कि पेन ड्राइव में 2 वीडियो भी शामिल हैं, एक उनकी घरेलू नौकरानी का है, जिसका प्रज्वल के पिता के कहने पर कथित रूप से अपहरण कर लिया गया। एक अन्य वीडियो में सांसद एक खेती मजदूरी करने वाली महिला के साथ कथित रूप से बलात्कार कर रहा है। पुलिस का अनुमान है कि पीड़ित महिलाओं की संख्या 90 से अधिक है। चुनाव से चार दिन पहले 26 अप्रैल को यह पेन ड्राइव सामने आई है। इसमें स्पष्ट वीडियो थे और पीड़ितों की पहचान को छिपाए बिना, सार्वजनिक स्थानों पर रहस्यमय तरीके से दिखाई दिए।

ऐसे प्रज्वल की हुई राजनीति में एंट्री

2019 के संसदीय चुनावों में प्रज्वल रेवन्ना का एंट्री हुई। यह सीट पहले एचडी देवगौड़ा की थी। कहा जाता है कि पज्वल की मां भवानी रेवन्ना की जिद के आगे एचडी देवगौड़ा को भी झुकना पड़ा। उन्होंने अपनी परंपरागत सीट पोते को दे दी और खुद तुमकुरु से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। प्रज्वल गौड़ा परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं। उनके पिता एचडी रेवन्ना विधायक हैं। देवगौड़ा के दूसरे बेटे एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी पुराने मैसूर क्षेत्र में वोक्कालिगा राजनीति के गढ़ मांड्या से चुनाव हारे।

प्रज्वल की छवि अच्छी नहीं

हालांकि सार्वजनिक रूप से प्रज्वल को सामंती मानसिकता वाला एक घमंडी युवक माना जाता है। पिता एचडी रेवन्ना पूर्व मंत्री और श्री कुमारस्वामी के बड़े भाई रेवन्ना ने हासन में पार्टी के मामलों में मजबूत पकड़ बनानी शुरू की। प्रज्वल के बड़े भाई सूरज रेवन्ना एक एमएलसी हैं। रेवन्ना की मां भवानी हासन जिला पंचायत की पूर्व सदस्य हैं। प्रज्वल ने राजनीति को करीब से देखा है। वह जब छोटे बच्चे थे तब उनके दादा प्रधानमंत्री बने और उनके पिता कैबिनेट मंत्री बने। वह बड़े हुए तो उनके चाचा 2006 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने।

प्रज्वल के कारण मुसीबत में पड़े कुमारस्वामी

इंजिनियरिंग स्नातक प्रज्वल की हमेशा से ही राजनीति में रुचि रही है। वह अकसर विवादों में आ जाते थे। सीएम रहते चाचा कुमारस्वामी प्रज्वल रेवन्ना के चलते कई बार मुसीबतों में फंसे। 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुन्सूर से चुनाव लड़ने के लिए प्रज्वल ने टिकट मांगा लेकिन चाचा ने नहीं दिया। तब प्रज्वल ने कुमारस्वामी को निशाना बनाते हुए कहा कि मेहनती लोगों को पीछे बैठने का मौका मिलता है, लेकिन जिनके पास सूटकेस होते हैं, उन्हें सामने की सीटें मिलती हैं। उनके बयान ने पार्टी नेतृत्व को हिलाकर रख दिया।

पोते के आगे झुके दादा

प्रज्वल रेवन्ना के इस बयान पर देवगौड़ा ने नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि अगर लड़का (प्रज्वल) इस तरह की बातें करता रहेगा तो उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं होगा। हालांकि, भवानी के दबाव में आकर देवगौड़ा ने अपने पोते को टिकट दिलवाई। अपनी हासन सीट उसके लिए छोड़ दी, इतना ही नहीं प्रज्वल को पार्टी का महासचिव भी बनाया गया।

एक के बाद एक लगते रहे आरोप

2019 के चुनावों के बाद, प्रज्वल ने सार्वजनिक रूप से इस्तीफा देने और अपने दादा को फिर से चुनाव लड़ने को कहा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनके प्रतिद्वंद्वी ए. मंजू, ने प्रज्वल पर संपत्ति और देनदारियों पर हलफनामे में अधूरा विवरण देने के अलावा बूथ कैप्चरिंग और प्रॉक्सी वोटिंग का आरोप लगाया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने सितंबर 2023 में उनके चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश पर रोक लगा दी।

कुमारस्वामी नहीं करते थे पसंद

2024 के चुनावों से पहले, पूर्व प्रधानमंत्री का परिवार प्रज्वल को टिकट देने के लिए राजी नहीं था क्योंकि प्रज्वल पर लगने वाले यौन दुराचार के आरोप खुले तौर पर सामने आने लगे थे। कुमारस्वामी ने प्रज्वल की उम्मीदवारी का विरोध किया था, लेकिन रेवन्ना परिवार अड़ा था। अभियान के दौरान, प्रज्वल सार्वजनिक रूप से कहते थे कि उन्होंने जो गलियां कीं, उसके लिए माफी मांग ली है, हालांकि वे गलतियां क्या थीं, इसका जिक्र नहीं किया।

बीजेपी ने खुद पैरों में मारी कुल्हाड़ी

परिवार को भी शायद आने वाली परेशानी का अंदेशा था क्योंकि जी. देवराजे गौड़ा, जो 2023 के विधानसभा चुनाव में होलेनारसीपुरा सीट पर रेवन्ना से हार गए थे, उन्होंने मीडिया को बड़ी संख्या में वीडियो होने का दावा किया था। पता चला है कि उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को इस मामले में पत्र भी लिखा था। दिसंबर 2023 में उन्होंने बीजेपी को चेतावनी दी कि अगर प्रज्वल को टिकट दिया गया तो उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ेगा लेकिन पार्टी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। बीजेपी ने खुद ही उस मुद्दे को कांग्रेस के देकर अपने खिलाफ हथियार दिया।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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